New Income Tax Bill 2025 लोकसभा से पास — 60 साल पुराने कर कानून में क्या हुआ बदलाव?

abhinay singh
4 Min Read

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण सोमवार को लोकसभा में इनकम टैक्स बिल 2025 को पेश किया जिसे सदन ने पारित कर दिया। अब बिल को राज्य सभा में पेश किया जाएगा और फिर राष्ट्रपति के पास मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। यह बिल इनकम टैक्स कानून 1961 की जगह लेगा। अगले साल एक अप्रैल से नए कानून को लागू किया जा सकता है।

इस बिल को इस साल फरवरी में प्रवर समिति के पास भेजा गया था। प्रवर समिति ने बिल में 285 बदलाव करने का सुझाव दिया था जिसे पूरी तरह से स्वीकार लिया गया।

टैक्स कानून को सरल बनाने की कोशिश

नए बिल के माध्यम से टैक्स कानून को सरल बनाने की कोशिश की गई है। पेज की संख्या आधी कर दी गई है और अप्रासंगिक हो चुके प्रविधान को हटा दिया गया है।

उदाहरण के लिए अभी इनकम टैक्स रिटर्न भरने के दौरान मूल्यांकन वर्ष और वित्त वर्ष का उल्लेख करना होता था। नए कानून में सिर्फ टैक्स ईयर का उल्लेख करना होगा और जिस वित्तवर्ष का टैक्स भरा जाएगा उसे ही टैक्स ईयर कहा जाएगा। टैक्स की दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया है।

MSME की नई परिभाषा को टैक्स प्रविधान में जोड़ा गया 

छोटे टैक्सपेयर्स की सहूलियत का ख्याल रखते हुए उन्हें कुछ सुविधाएं भी दी गई है। जैसे अब समय बीत जाने के बाद भी टैक्स रिटर्न भरने पर उन्हें रिफंड मिल सकेगा। एमएसएमई की नई परिभाषा को टैक्स प्रविधान से जोड़ दिया गया है। तय समय सीमा के नौ महीने के अंदर आईटीआर भरा जा सकेगा। चार साल पहले के टैक्स इयर के अपडेटेड रिटर्न भी भरने की सुविधा दी गई है।

नए बिल के लागू होने पर टैक्सपेयर्स को अपने सभी खर्च और आय का बिल्कुल ध्यान रखना होगा। अगर आपके खाते में कोई ऐसी राशि दिख रही है जिसका हिसाब विभाग को नहीं दिख रहा है तो उस राशि के बारे में पूछा जा सकता है और संतोषप्रद जवाब नहीं देने पर उस राशि को आय मान लिया जाएगा।

टैक्स अधिकारियों को बनाया गया सशक्त 

वैसे ही, किसी खर्च का विवरण आईटीआर में नहीं है और उस खर्च के बारे में विभाग को संतोषप्रद जवाब नहीं दिया जाता है तो उसे भी आय मान लिया जाएगा। टैक्स अधिकारियों को नए बिल में सशक्त बनाया गया है।

टैक्स अधिकारी बुक एकाउंट को जांच के लिए 15 दिनों तक रख सकते हैं। नए बिल में के प्रविधान के मुताबिक सर्च के दौरान सभी डिजिटल डक्यूमेंट्स जैसे कि फोन, लैपटॉप, ईमेल या अन्य डिजिटल उपकरण को टैक्स अधिकारी अपने कब्जे में ले सकता है। अधिकारी यह बताने के लिए बाध्य नहीं होगा कि किसी टैक्सपेयर्स के यहां सर्च ऑपरेशन क्यों चलाया गया है।

जांच करने वाले अधिकारी के रवैये से संतुष्ट नहीं होने पर संयुक्त आयुक्त के यहां अपील की जा सकती है।वित्त मंत्रालय के मुताबिक टैक्स प्रशासन को पहले के मुकाबले अधिक सक्षम और पारदर्शी बनाया गया है। रिटर्न को भरने के लिए एनुअल इंफार्मेशन सिस्टम का इस्तेमाल किया जाएगा।

एआईएस टैक्सपेयर्स का लेखा-जोखा तैयार करने के लिए थर्ड पार्टी से डाटा हासिल करता है। रिटर्न के प्रोसेसिंग समय को काफी कम करने का लक्ष्य रखा गया है ताकि रिफंड को और तेज किया जा सके।

यह भी पढ़ें- more

Share This Article
Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

×